चयन प्रक्रिया

चयन

भर्ती की प्रक्रिया समाप्त होते ही चयन प्रक्रिया शुरू हो जाती है।  चयन का अर्थ है  आवेदन किये हुए उम्मीदवारों के बीच से उपयुक्त उम्मीदवारों की निश्चित संख्या का चयन करना  पोस्ट नहीं। भर्ती में नियत तारीख तक  प्राप्त सभी आवेदनों को शामिल किया जाता है जबकि चयन में  सबसे उपयुक्त उम्मीदवार के लिए प्रतिस्पर्धा होती है

चयन प्रक्रिया में कदम:

  1. प्राथमिक साक्षात्कार: प्रारंभिक साक्षात्कार आमतौर पर कार्यालय में रिसेप्शनिस्ट द्वारा की जाती है ।  यह साक्षात्कार अनिवार्य रूप से एक छँटाई प्रक्रिया है जिसमें परिप्रेक्ष्य आवेदकों को संगठन में  नौकरी  की प्रकृति के बारे में आवश्यक जानकारी दी जाती है । यदि कोई उम्मीदवार संगठन के द्वारा चाही गई निहित अर्हताओं और आवश्यकताओं को पूरा करता है तो वह आगे की कार्रवाई के लिए चुना जाता है । यदि नहीं, तो उसे इस  प्रारंभिक चरण से ही बाहर  का रास्ता दिखा दिया जाता है | इसी प्रकार यदि प्रार्थी को सेवा की शर्तें कार्य की दशाएं, पारिश्रमिक सुविधाएँ उपयुक्त न लगे तो वह स्वयं ही अपनी असमर्थता व्यक्त कर सकते हैं | भारत में कई कंपनियां अब मूल साक्षात्कार से पहले पूर्व प्रारम्भिक साक्षात्कार भी करने लगी हैं |
  2. प्रार्थनापत्र फॉर्म की समीक्षा करना:  प्रार्थनापत्र फॉर्म  आवेदन करते समय कंपनी के द्वारा मांगी जाने वाली एक लिखित है औपचारिक फॉर्म होता है | इसमें उम्मेदवार से सम्बंधित सभी सूचनाएं, विवरण, प्रमाणपत्र, सन्दर्भ इत्यादि मांगे जाते हैं | इसका उद्देश्य यह होता है की इसकी मदद से  साक्षात्कारकर्ता को  उम्मीदवार के बारे में ज़रूरी जानकारियां मिल जाती हैं और वे उम्मेदवार से प्रश्न पूछने के लिए खुद को तैयार कर लेते हैं |  यह उम्मीदवार से उसकी आवश्यक जानकारियां  एकत्र करने के लिए एक उपयोगी उपकरण है | इसके अलावा कई संस्थाएं अपनी सुविधा और आवश्यकता के अनुसार अन्य तरह के सवाल भी प्रार्थनापत्र में ही पूछ सकते हैं जैसे, क्या आप कभी जेल गये हैं, क्या आप कभी परीक्षा में नक़ल करते पकडे गये फला फला फला …..
  3. मुख्य साक्षात्कार: यह चयन की प्रक्रिया में यह सबसे महत्वपूर्ण कदम है। साक्षात्कार का उद्देश्य यह जानने के लिए होता है कि प्रार्थी अपने व्यक्तित्व, काबिलियत, कार्यकुशलता और तर्कशक्ति से अपने कार्य कर पायेगा या नहीं | साक्षात्कार के द्वारा उन बातों की जानकारियां स्पष्ट रूप से ली जा सकती हैं जो प्रार्थनापत्र से प्राप्त न की जा सकी हों | साक्षात्कार के दौरान ही प्रार्थी की काबिलियत का पता करने के लिए उससे प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से सवाल पूछे जा सकते हैं और तुरन्त प्रार्थी की प्रतिक्रिया ली जा सकती है |  साक्षात्कार के अलावा प्रार्थी के काबिलियत का अनुमान लगाने का कोई और तरीका नहीं है | कुछ सामान्य साक्षात्कार तकनीक इस प्रकार से है

साक्षात्कार तकनीक:

  1. अ-निर्देशित साक्षात्कार: इस तरह के साक्षात्कार में साक्षात्कारकर्ता किसी प्रकार के मानक प्रारूप का पालन नहीं करता है | इसमें पहले से तैयार किये हुए सवालों के बजाये  तुरंत ही किसी विषय पर आराम से चर्चा की जाती है । इस  विधि से साक्षात्कारकर्ता  को प्रार्थी के व्यक्तित्व, विचारों और उसकी प्रभावशीलता  को  गहराई से जांच करने का अच्छा मौका मिलता है |
  2. निर्देशित साक्षात्कार: इसमें प्रार्थियों से पूछे जाने वाले सभी प्रश्नों का पहले से ही प्रारूप तैयार कर लिया जाता है और सभी प्रार्थियों से  उन्ही सवालों को पूछा जाता है | इस प्रश्नों का एक निश्चित उत्तर होता है और सबसे सटीक उत्तर देने वाले उम्मेदवार को सबसे ज्यादा अंक मिल जाते हैं |
  3. प्रतिबल  (तनाव) साक्षात्कार: यह एक अत्यधिक जटिल तकनीक है। इसमें साक्षात्कारकर्ता आवेदक के प्रति शत्रुतापूर्ण भूमिका निभाता  है। वह जानबूझकर उम्मेदवार को गुस्सा, शर्मिंदा और निराश करने की कोशिश करता है । इस तरह से साक्षात्कार लेकर उम्मेदवार के व्यव्हार के संतुलन को परखा जाता है क्यूंकि एक विक्रयकर्ता के रूप में उसे  इस तरह की परिस्थितियोंका सामना करना ही पड़ता है | विक्रयकर्ताओं के चयन में यह तरीका बहुत ही महत्वपूर्ण है |
  4. मनोवैज्ञानिक परीक्षण:  मनोवैज्ञानिक परीक्षण का मतलब होता है  “दो या दो से अधिक व्यक्तियों के व्यवहार की व्यवस्थित रूप से तुलना  करना” | मनोवैज्ञानिक परीक्षण इस सामान्य सिद्धांत पर काम करते हैं कि  एक निश्चित प्रारूप के तहत मानव व्यवहार का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है ।
    • योग्यता परीक्षण: इनका उपयोग किसी उम्मीदवार की किसी नए कार्य या कौशल को सीखने  क्षमता को मापने के लिए किया जाता है
      • मानसिक या बुद्धि परीक्षण: इसके द्वारा उम्मीदवार के समग्र बौद्धिक क्षमता और इंटेलीजेंट कोशेंट  (आईक्यू) को मापा जाता है | साथ ही साथ उम्मीदवार की वाकपटुता, स्मृति, आगमनात्मक तर्कशक्ति, धारणाओं इत्यादि का भी अंदाज़ा लगाया जा सकता है |
      • मैकेनिकल एप्टीट्यूड टेस्ट: ये किसी व्यक्ति की विशेष प्रकार के यांत्रिक कार्य सीखने की क्षमता को मापते हैं | एक व्यक्ति के दृश्य-मोटर को मापने के लिए समन्वय या एकीकरण। सी। 
      • साइकोमोटर या स्किल टेस्ट: ये परीक्षण किसी व्यक्ति की किसो विशिष्ट कार्य को  करने की क्षमता को मापते हैं|  इसके द्वारा उम्मीदवार की मानसिक निपुणता या मानसिकता के साथ साथ  कार्य करते हुए  मांसपेशियों की गति, नियंत्रण और समन्वय का भी अवलोकन किया जाता है |
    •  व्यक्तित्व परीक्षण:  ये परीक्षण किसी उम्मीदवार के व्यक्तिगत मूल्यों  को आंकने के लिए उपयोग किया जाता है | इस परिक्षण के द्वारा उम्मीदवार  की भावनात्मक प्रतिक्रियाएं, परिपक्वता और उसकी मनोदशा की विशेषता इत्यादि का आसानी पता लगाया जा सकता है ।
    • उपलब्धि परीक्षण (प्रवीणता टेस्ट):  उपलब्धि परीक्षण यह निर्धारित करने की कोशिश करते हैं कि कैसे किसी विषय के बारे में उम्मीदवार कितना कुछ जानता है। उम्मीदवार के चयन करने या न करने में यह बहुत ही महत्वपूर्ण होता है ।
    • रूचि परीक्षण:  इन परीक्षणों का उद्देश्य  विभिन्न प्रकार के कार्यों में उम्मीदवार की रूचि पता करने के लिए किया जाता है | क्यूंकि जो अधिक रूचि के साथ कार्य करते हैं वो काम में अधिक सफल होते हैं |
  5. संदर्भ चेक: उम्मीदवार का मुख्य साक्षात्कार में चयन हो जाने के पश्चात संस्था उम्मीदवार के सम्बन्ध में छानबीन करती है | छानबीन करने के लिए ही स्वयं उम्मीदवार से आवेदन पत्र में उपयुक्त सन्दर्भ मांगे जाते हैं जिनसे संस्था उम्मीदवार  के बारे में पूछताछ कर सकती है | इसके अलावा संस्था उम्मीदवार  के वर्तमान नियोक्ता से भी पूछताछ करती है | इस सन्दर्भ जांच के माध्यम से उम्मीदवार  के चरित्र और अनुभव के बारे में जानकारी मिल जाती है | कुछ संस्थाएं जासूसों के माध्यम से भी उम्मीदवार के बारे में गुप्त छानबीन करती हैं |
  6. स्वास्थय  परीक्षण:  स्वास्थय  परीक्षण का उद्देश्य यह होता है कि नियुक्ति के समय उम्मीदवार शारीरिक रूप से सुयोग्य है या नहीं तथा उसे किसी प्रकार की बीमारी तो नहीं | इस दौरान हर उम्मीदवार को एक मेडिकल टेस्ट से गुजरना पड़ता है।  इस हेतु उम्मीदवार के स्वास्थ्य के सम्बन्ध में अनेक जानकारियां इकट्ठी की जाती हैं | जैसे, उम्मीदवार का वजन, हाथ-पाँव, आँख-कान, नाक, दांत, गला, इत्यादि की विशेष जांच की जाती है | सेल्समैन की नौकरी के लिए मानसिक और शारीरिक दोनों तरह की अच्छी  फिटनेस की जरूरत होती है। अन्यथाविक्रयकर्ता के रोग और की शारीरिक कमियाँ संस्था के व्यवसाय को प्रभावित करती हैं।
  7. अंतिम साक्षात्कार और नियुक्ति : चयनित आवेदकों से  अंतिम साक्षात्कार लिया जाता है और सेवा की शर्तों का स्पष्टीकरण दिया जाता  है | सेवा की  शर्तों में वेतन, कमीशन, भत्ते, कार्य के घंटे, सवेतन अवकाश, भ्रमण अवकाश, आवास सुविधा, परिवहन सुविधा इत्यादि तय किया जाता है और  उम्मेदवार के राजी हो जाने पर  उसे नियुक्त कर लिया जाता है |  नियुक्ति के लिए सामान्यतः एक नियुक्ति पत्र दिया जाता है जिसमें पदनाम, वेतन,  भत्ते, सेवा की प्रमुख शर्तें, कार्यभार सँभालने की तिथि आदि का उल्लेख किया जाता है |
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